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− | *[[ जान के जी में सदा जीने का ही अरमाँ रहा/ज़ौक़]] | + | * [[जान के जी में सदा जीने का ही अरमाँ रहा/ज़ौक़]] |
− | *[[ तेरा बीमार न सँभला जो सँभाला लेकर/ ज़ौक़]] | + | * [[तेरा बीमार न सँभला जो सँभाला लेकर/ ज़ौक़]] |
− | *[[ अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे/ ज़ौक़]] | + | * [[अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे/ ज़ौक़]] |
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+ | * [[यह अक़ामत हमें पैग़ामे-सफ़र देती है / ज़ौक़]] | ||
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23:17, 2 अप्रैल 2009 का अवतरण
मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़
जन्म | 1789 |
---|---|
निधन | 1854 |
उपनाम | ज़ौक़ |
जन्म स्थान | दिल्ली, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
ज़ौक़ का असली नाम शेख़ इब्राहिम था और आप ग़ालिब के समकालीन एक मशहूर शायर थे। | |
जीवन परिचय | |
ज़ौक़ / परिचय |
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- इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता/ ज़ौक़
- जान के जी में सदा जीने का ही अरमाँ रहा/ज़ौक़
- तेरा बीमार न सँभला जो सँभाला लेकर/ ज़ौक़
- अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे/ ज़ौक़
- लायी हयात, आये, क़ज़ा ले चली, चले/ ज़ौक़
- आज उनसे मुद्दई कुछ मुद्दा कहने को है / ज़ौक़
- यह अक़ामत हमें पैग़ामे-सफ़र देती है / ज़ौक़
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