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"राघौ गीध गोद करि लीन्हौ / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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नयन सरोज सनेह सलिल सुचि मनहुँ अरघ जल दीन्हौं॥ | नयन सरोज सनेह सलिल सुचि मनहुँ अरघ जल दीन्हौं॥ | ||
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तुलसी प्रभु झूठे जीवन लगि समय न धोखो लैहौं। | तुलसी प्रभु झूठे जीवन लगि समय न धोखो लैहौं। | ||
जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहि कहाँ पुनि पैहौं॥ | जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहि कहाँ पुनि पैहौं॥ | ||
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23:39, 26 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
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राघौ गीध गोद करि लीन्हौ।
नयन सरोज सनेह सलिल सुचि मनहुँ अरघ जल दीन्हौं॥
सुनहु लखन! खगपतिहि मिले बन मैं पितु-मरन न जान्यौ।
सहि न सक्यो सो कठिन बिधाता बड़ो पछु आजुहि भान्यौ॥
बहुबिधि राम कह्यौ तनु राखन परम धीर नहि डोल्यौ।
रोकि प्रेम, अवलोकि बदन-बिधु बचन मनोहर बोल्यौं॥
तुलसी प्रभु झूठे जीवन लगि समय न धोखो लैहौं।
जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहि कहाँ पुनि पैहौं॥