भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
}}  
 
}}  
 
[[Category:गज़ल]]
 
[[Category:गज़ल]]
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा<br>
+
<poem>
क़ाफिला साथ और सफर तन्हा<br><br>
+
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
 +
क़ाफिला साथ और सफर तन्हा
  
अपने साये से चौंक जाते हैं<br>
+
अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा<br><br>
+
उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा
  
रात भर बोलते हैं सन्नाटे<br>
+
रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा<br><br>
+
रात काटे कोई किधर तन्हा
  
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में<br>
+
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा<br><br>
+
रात होती नहीं बसर तन्हा
  
हमने दरवाज़े तक तो देखा था<br>
+
हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा<br><br>
+
फिर न जाने गए किधर तन्हा
 +
</poem>

19:35, 3 नवम्बर 2010 का अवतरण

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफर तन्हा

अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा

रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा

दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा

हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा