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शहर के बीच / अजित कुमार

25 bytes added, 06:17, 1 नवम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अजित कुमार
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शहर के बीचोबीच
जो एक बड़ा-सा फ़व्वारा है
एक नन्हा शैतान
खिलखिलाता नज़र आया।
</poem>
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