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"फूल खिलेगा / अमरजीत कौंके" के अवतरणों में अंतर
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02:45, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण
तूने एक रिश्ते पर
कितनी आसानी से
मिट्टी डाल दी
तेरे साथ वालों ने
मिट्टी फेंक-फेंक कर
इक रिश्ते की क़ब्र बना दी
शायद तुझे भ्रम है
कि रिश्ते यूँ खत्म हो जाते
लेकिन
बरसों बाद
सदियों बाद
जन्मों बाद
इस क़ब्र में से
फिर इस रिश्ते की
सुर्ख़ कोंपल फूटेगी
फिर इस क़ब्र में से
प्यार का महकता फूल खिलेगा।
मूल पंजाबी से हिंदी में रूपांतर : सुभाष नीरव