"चिंगारियाँ / सुकेश साहनी" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुकेश साहनी |संग्रह= }} <Poem> तुम जो पैसा बो रहे हो पै...) |
|||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
पैसा बिछा रहे हो | पैसा बिछा रहे हो | ||
तुम जो पाँच सौ दे रहे हो | तुम जो पाँच सौ दे रहे हो | ||
− | एक | + | एक हजार पर अँगूठे लगवा रहे हो |
− | तुम मेरे सीताराम नहीं हो सकते ! | + | तुम मेरे सीताराम नहीं हो सकते! |
− | + | ||
तुम जो करते थे जनवाद की बातें | तुम जो करते थे जनवाद की बातें | ||
− | गोर्की और | + | गोर्की और प्रेमचन्द्र की बातें |
घर से घर को जोड़ने की बातें | घर से घर को जोड़ने की बातें | ||
− | वही तुम ?! | + | वही तुम?! |
− | + | ||
अपने लिए महल बनवा रहे हो | अपने लिए महल बनवा रहे हो | ||
और कोई बना न ले | और कोई बना न ले | ||
तुमसे अच्छा महल | तुमसे अच्छा महल | ||
− | इस डर से | + | इस डर से |
निर्माण पूरा होते ही | निर्माण पूरा होते ही | ||
कारीगरों की अँगुलियों कटवाने की | कारीगरों की अँगुलियों कटवाने की | ||
योजना बना रहे हो | योजना बना रहे हो | ||
− | तुम मेरे यार नहीं हो सकते ! | + | तुम मेरे यार नहीं हो सकते! |
− | + | मेरे अजीज दोस्त सीताराम! | |
− | मेरे अजीज दोस्त सीताराम ! | + | हाँ, मैं उदास हूँ |
− | + | तुम्हारे बेटे के बेटे के लिए- | |
− | + | नन्हें बंटी के लिए | |
− | + | केबिल टी.वी. में | |
− | + | जब एक आदमी दूसरे की गर्दन दबाता है | |
+ | दूसरा आदमी हाथ पैर फेंकता है | ||
+ | मछली-सा छटपटाता है | ||
+ | तब नन्हा बंटी तालियाँ पीटता है | ||
+ | खिलखिलाता है | ||
+ | हां, मैं चिन्तित हूँ | ||
+ | नई पौध की राख होती संवेदनाओं के लिए | ||
+ | अभी शेष हैं | ||
+ | राख के ढेर में कुछ चिंगारियाँ | ||
+ | इन्हें जिलाना होगा | ||
+ | नन्हे बंटी को बचाना होगा | ||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> |
03:59, 29 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण
तुम जो पैसा बो रहे हो
पैसा काट रहे हो
तुम जो पैसा ओढ़ रहे हो
पैसा बिछा रहे हो
तुम जो पाँच सौ दे रहे हो
एक हजार पर अँगूठे लगवा रहे हो
तुम मेरे सीताराम नहीं हो सकते!
तुम जो करते थे जनवाद की बातें
गोर्की और प्रेमचन्द्र की बातें
घर से घर को जोड़ने की बातें
वही तुम?!
अपने लिए महल बनवा रहे हो
और कोई बना न ले
तुमसे अच्छा महल
इस डर से
निर्माण पूरा होते ही
कारीगरों की अँगुलियों कटवाने की
योजना बना रहे हो
तुम मेरे यार नहीं हो सकते!
मेरे अजीज दोस्त सीताराम!
हाँ, मैं उदास हूँ
तुम्हारे बेटे के बेटे के लिए-
नन्हें बंटी के लिए
केबिल टी.वी. में
जब एक आदमी दूसरे की गर्दन दबाता है
दूसरा आदमी हाथ पैर फेंकता है
मछली-सा छटपटाता है
तब नन्हा बंटी तालियाँ पीटता है
खिलखिलाता है
हां, मैं चिन्तित हूँ
नई पौध की राख होती संवेदनाओं के लिए
अभी शेष हैं
राख के ढेर में कुछ चिंगारियाँ
इन्हें जिलाना होगा
नन्हे बंटी को बचाना होगा