|रचनाकार=सुभद्राकुमारी चौहान
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यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
यहाँ कोकिला नहींकलियाँ भी अधखिली, काग मिली हैंकंटक-कुल से, शोर मचाते, <br> काले काले कीटवे पौधे, भ्रमर का भ्रम उपजाते। <br><br>व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटकपरिमल-कुल सेहीन पराग दाग सा बना पड़ा है, <br> वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। <br><br>हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा हैओ, <br>हाप्रिय ऋतुराज! यह प्यारा बाग खून किन्तु धीरे से सना पड़ा है। <br><br>आना, यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।
ओवायु चले, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे पर मंद चाल से आनाउसे चलाना, <br> यह है शोक-स्थान यहाँ दुःख की आहें संग उड़ा कर मत शोर मचाना। <br><br>ले जाना।
वायु चलेकोकिल गावें, पर मंद चाल से उसे चलानाकिन्तु राग रोने का गावें, <br> दुःख भ्रमर करें गुंजार कष्ट की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना। <br><br>कथा सुनावें।
कोकिल गावेंलाना संग में पुष्प, किन्तु राग रोने का गावेंन हों वे अधिक सजीले, <br> भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें। <br><br>तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।
लाना संग में पुष्प, किन्तु न हों वे अधिक सजीलेतुम उपहार भाव आ कर दिखलाना, <br> तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले। <br><br>स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।
किन्तु न तुम उपहार भाव आ कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर दिखलाना, <br> स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना। <br><br>कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।
कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा करआशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं, <br> कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर। <br><br>अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैंकुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना, <br> अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं। <br><br>कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।
कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ानातड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर, <br> कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना। <br><br>शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।
तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर, <br>शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर। <br><br> यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना, <br> यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना। <br><br/poem>