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"लाजवंती धारणाएँ / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर
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लाजवंती धारणाएँ | लाजवंती धारणाएँ |
17:03, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
लाजवंती धारणाएँ
पढ़ रहीं
नंगी कथाएँ
नीतियाँ बेहाल हैं
आदर्श की धज्जी उड़ी है,
रीतियाँ होकर
अपाहिज
कोशिशों के घर पड़ी है,
पुस्तकों में
कैद हैं नैतिक कथाएँ
मूल्य सारे
टूटकर बिखरे पड़े हैं,
प्रचलन को
स्वार्थ,
अब ज़िद पर अड़े हैं,
तेज होती जा रहीं
पछुआ हवाएँ