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दादा जी की पाग गुलाबी | दादा जी की पाग गुलाबी | ||
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क्या होते कुछ घाव गुलाबी? | क्या होते कुछ घाव गुलाबी? | ||
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सुंदर प्रकृति के ये रंग | सुंदर प्रकृति के ये रंग | ||
लालच कर देता सब भंग ! | लालच कर देता सब भंग ! | ||
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आप कहें क्या और गुलाबी | आप कहें क्या और गुलाबी |
06:54, 14 अप्रैल 2009 का अवतरण
मधुसूदन के हस्त गुलाबी
बृज की गोपी मस्त गुलाबी
गोमुख, गोपद धूल गुलाबी
काली जमुना, कूल गुलाबी
राधा की चिर प्रीति गुलाबी
नटवर की हर नीति गुलाबी
मधुर गुलाबी जसुमति प्यार
बंधे कन्हाई जिस से हार !
नयन, अधर, नख, गाल गुलाबी
बहकी लहकी चाल गुलाबी
फूल, कली, नव पात गुलाबी
गयी शाम बरसात गुलाबी
संध्या का लहराता आँचल
सिक्त किरण चमकाता बादल
पंख, शंख, परवाज़ गुलाबी
गीत, सदा, आवाज़ गुलाबी
प्रथम प्रणय की आंच गुलाबी
पिया मिलन की सांझ गुलाबी
नन्हें पग और स्मित की रेख
हर्षाती माँ जिनको देख
शिशु तो लालम लाल गुलाबी
जीवन के कुछ साल गुलाबी
बिटिया से घर-द्वार गुलाबी
रीति, रस्म, व्यवहार गुलाबी
हाय! काट के प्याज़ गुलाबी
हो गईं आँखें आज गुलाबी
गोभी, शलजम और तरबूज
हुए गुलाबी कुछ अमरुद
दादी गातीं छंद गुलाबी
पान बीच गुलकंद गुलाबी
दादा जी की पाग गुलाबी
होते कुछ-कुछ साग गुलाबी
क्या होते कुछ घाव गुलाबी?
चढ़ता ज्वर और ताव गुलाबी?
और गुलाबी पर्ची थाम
छूट गए जिन सब के काम
क्या उनके हालात गुलाबी?
पत्नी करती बात गुलाबी?
सुंदर प्रकृति के ये रंग
लालच कर देता सब भंग !
आप कहें क्या और गुलाबी
वस्तु, कार्य या ठौर गुलाबी ?