भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कौन? / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | |रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatBalKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
किसने बटन हमारे कुतरे? | किसने बटन हमारे कुतरे? | ||
− | |||
किसने स्याही को बिखराया? | किसने स्याही को बिखराया? | ||
− | |||
कौन चट कर गया दुबक कर | कौन चट कर गया दुबक कर | ||
− | |||
घर-भर में अनाज बिखराया? | घर-भर में अनाज बिखराया? | ||
− | |||
दोना खाली रखा रह गया | दोना खाली रखा रह गया | ||
− | |||
कौन ले गया उठा मिठाई? | कौन ले गया उठा मिठाई? | ||
− | |||
दो टुकड़े तसवीर हो गई | दो टुकड़े तसवीर हो गई | ||
− | |||
किसने रस्सी काट बहाई? | किसने रस्सी काट बहाई? | ||
− | |||
कभी कुतर जाता है चप्प्ल | कभी कुतर जाता है चप्प्ल | ||
− | |||
कभी कुतर जूता है जाता, | कभी कुतर जूता है जाता, | ||
− | |||
कभी खलीता पर बन आती | कभी खलीता पर बन आती | ||
− | |||
अनजाने पैसा गिर जाता | अनजाने पैसा गिर जाता | ||
− | |||
किसने जिल्द काट डाली है? | किसने जिल्द काट डाली है? | ||
− | |||
बिखर गए पोथी के पन्ने। | बिखर गए पोथी के पन्ने। | ||
− | |||
रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं | रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं | ||
− | |||
कौन उठा ले जाता छन्ने? | कौन उठा ले जाता छन्ने? | ||
− | |||
कुतर-कुतर कर कागज़ सारे | कुतर-कुतर कर कागज़ सारे | ||
− | |||
रद्दी से घर को भर जाता। | रद्दी से घर को भर जाता। | ||
− | |||
कौन कबाड़ी है जो कूड़ा | कौन कबाड़ी है जो कूड़ा | ||
− | |||
दुनिया भर का घर भर जाता? | दुनिया भर का घर भर जाता? | ||
− | |||
कौन रात भर गड़बड़ करता? | कौन रात भर गड़बड़ करता? | ||
− | |||
हमें नहीं देता है सोने, | हमें नहीं देता है सोने, | ||
− | |||
खुर-खुर करता इधर-उधर है | खुर-खुर करता इधर-उधर है | ||
− | |||
ढूँढा करता छिप-छिप कोने? | ढूँढा करता छिप-छिप कोने? | ||
− | |||
रोज़ रात-भर जगता रहता | रोज़ रात-भर जगता रहता | ||
− | |||
खुर-खुर इधर-उधर है धाता | खुर-खुर इधर-उधर है धाता | ||
− | |||
बच्चों उसका नाम बताओ | बच्चों उसका नाम बताओ | ||
− | |||
कौन शरारत यह कर जाता? | कौन शरारत यह कर जाता? | ||
+ | </poem> |
09:46, 17 अक्टूबर 2009 का अवतरण
किसने बटन हमारे कुतरे?
किसने स्याही को बिखराया?
कौन चट कर गया दुबक कर
घर-भर में अनाज बिखराया?
दोना खाली रखा रह गया
कौन ले गया उठा मिठाई?
दो टुकड़े तसवीर हो गई
किसने रस्सी काट बहाई?
कभी कुतर जाता है चप्प्ल
कभी कुतर जूता है जाता,
कभी खलीता पर बन आती
अनजाने पैसा गिर जाता
किसने जिल्द काट डाली है?
बिखर गए पोथी के पन्ने।
रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं
कौन उठा ले जाता छन्ने?
कुतर-कुतर कर कागज़ सारे
रद्दी से घर को भर जाता।
कौन कबाड़ी है जो कूड़ा
दुनिया भर का घर भर जाता?
कौन रात भर गड़बड़ करता?
हमें नहीं देता है सोने,
खुर-खुर करता इधर-उधर है
ढूँढा करता छिप-छिप कोने?
रोज़ रात-भर जगता रहता
खुर-खुर इधर-उधर है धाता
बच्चों उसका नाम बताओ
कौन शरारत यह कर जाता?