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"ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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− | ज़िंदगी यूँ हुई बसर | + | ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा<br> |
− | क़ाफ़िला साथ और सफर | + | क़ाफ़िला साथ और सफर तन्हा<br><br> |
अपने साये से चौंक जाते हैं<br> | अपने साये से चौंक जाते हैं<br> | ||
− | उम्र गुज़री है इस कदर | + | उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा<br><br> |
रात भर बोलते हैं सन्नाटे<br> | रात भर बोलते हैं सन्नाटे<br> | ||
− | रात काटे कोई किधर | + | रात काटे कोई किधर तन्हा<br><br> |
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में<br> | दिन गुज़रता नहीं है लोगों में<br> | ||
− | रात होती नहीं बसर | + | रात होती नहीं बसर तन्हा<br><br> |
हमने दरवाज़े तक तो देखा था<br> | हमने दरवाज़े तक तो देखा था<br> | ||
− | फिर न जाने गए किधर | + | फिर न जाने गए किधर तन्हा<br><br> |
19:44, 18 अक्टूबर 2006 का अवतरण
कवि: गुलज़ार
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ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफर तन्हा
अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा
रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा
हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा