भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिवाली का दिन / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरधर राठी }} <poem> अब हो कब हो शाम सूरज डूबे दिये जल...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=गिरधर राठी
 
|रचनाकार=गिरधर राठी
 
}}
 
}}
 
+
{{Template:KKAnthologyDiwali}}<poem>
 
+
<poem>
+
 
अब हो कब हो शाम
 
अब हो कब हो शाम
 
सूरज डूबे
 
सूरज डूबे

18:12, 17 मार्च 2011 के समय का अवतरण

अब हो कब हो शाम
सूरज डूबे
दिये जलाएँ !