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"मैं झूठ हूँ / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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मैं झूठ हूँ, फरेब हूँ, पाखंड बड़ा हूँ  
मैं झूठ हूँ, फरेब हूँ. पाखंड बड़ा हूँ  
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लेकिन तुम्हारे सत्य के पैरों में पड़ा हूँ
 
लेकिन तुम्हारे सत्य के पैरों में पड़ा हूँ
 
 
   
 
   
 
हीरा भी नहीं हूँ खरा मोती भी नहीं हूँ  
 
हीरा भी नहीं हूँ खरा मोती भी नहीं हूँ  
 
फिर भी तुम्हारी स्वर्ण की मुंदरी में जड़ा हूँ  
 
फिर भी तुम्हारी स्वर्ण की मुंदरी में जड़ा हूँ  
 
 
   
 
   
 
सब चूडियों को भाग्य से मेरे जलन हुई  
 
सब चूडियों को भाग्य से मेरे जलन हुई  
 
मैं आपकी कोमल कलाइयों का कड़ा हूँ  
 
मैं आपकी कोमल कलाइयों का कड़ा हूँ  
 
 
   
 
   
 
दुनिया तो लड़ी द्वेष से, नफरत से, क्रोध से  
 
दुनिया तो लड़ी द्वेष से, नफरत से, क्रोध से  
 
मैं जब भी लड़ा तुमसे मुहब्बत से लड़ा हूँ  
 
मैं जब भी लड़ा तुमसे मुहब्बत से लड़ा हूँ  
 
   
 
   
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काँटा हूँ, दर्द ही सदा देता हूँ मैं तुम्हें
काँटा हूँ, दर्द ही सदा देता हूं मैं तुम्हें.
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मैं जानता हूँ, मैं तुम्हारे दिल में गड़ा हूँ  
 
मैं जानता हूँ, मैं तुम्हारे दिल में गड़ा हूँ  
 
 
 
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17:46, 18 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

मैं झूठ हूँ, फरेब हूँ, पाखंड बड़ा हूँ
लेकिन तुम्हारे सत्य के पैरों में पड़ा हूँ
 
हीरा भी नहीं हूँ खरा मोती भी नहीं हूँ
फिर भी तुम्हारी स्वर्ण की मुंदरी में जड़ा हूँ
 
सब चूडियों को भाग्य से मेरे जलन हुई
मैं आपकी कोमल कलाइयों का कड़ा हूँ
 
दुनिया तो लड़ी द्वेष से, नफरत से, क्रोध से
मैं जब भी लड़ा तुमसे मुहब्बत से लड़ा हूँ
 
काँटा हूँ, दर्द ही सदा देता हूँ मैं तुम्हें
मैं जानता हूँ, मैं तुम्हारे दिल में गड़ा हूँ