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|संग्रह=
}}[[Category:गज़ल]]
<poem>आदम का जिस्म जब के अनासर अनासिर <ref>पंचतत्व</ref> से मिल बना
कुछ आग बच रही थी सो आशिक़ का दिल बना
[अनासर= पंचतत्व]
सरगर्म-ए-नाला आज कल मैं भी हूँ अन्द्लीब
मत आशियाँ चमन में मेरे मुत्तसिल बना
जब तेशा कोहकान कोहकन ने लिया हाथ तब ये इश्क़
बोला के अपनी छाती पे रखने को सिल बना
जिस तीरगी <ref>अँधेरा</ref>से रोज़ है उशाक़ <ref>आशिक़</ref>का सियाह <ref>काला</ref> शायद उसी से चेहरा-ए-ख़ुबाँ ख़ूबाँ पे तिल बना [उशाक़= आशिक़; सियाह= अंधेरा]
लब ज़िन्दगी में कब मिले उस लब से ऐ! कलाल