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"क़त्आ / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
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हो चुकी सुब्ह मगर रात अभी बाकी़ है | हो चुकी सुब्ह मगर रात अभी बाकी़ है |
21:30, 23 मई 2009 का अवतरण
दौरे_मय ख़त्म हुआ, ख़त्म हुई सुह्बते_शब<ref>रात्रि-मिलन</ref>
हो चुकी सुब्ह मगर रात अभी बाकी़ है
ऐसा लगता है कि बिछड़ी है अभी मिलके नज़र
ऐसा लगता है मुलाक़ात अभी बाक़ी है
शब्दार्थ
<references/>