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"छिंगुनिया के छल्ला / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे ,
 
छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे ,
 
नथुनियाँ, न झुलनी, न मुँदरी जुड़ी ,  
 
नथुनियाँ, न झुलनी, न मुँदरी जुड़ी ,  

12:40, 9 जून 2009 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: प्रतिभा सक्सेना

छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे , नथुनियाँ, न झुलनी, न मुँदरी जुड़ी , आयो लै के कनैठी अंगुरिया को छल्ला ! इहै छोट छल्ला पे ढपली बजइबे !

कितै दिन नचइबे ,गबइबे ,खिजइबे कसर सब निकार लेई ,फिन मोर लल्ला कबहुँ गोरिया तोर पल्ला न छोड़ब , चिपक रहिबे बनिके तोरा पुछल्ला !

करइ ले अपुन मनमानी कुछू दिन उहै छोट लल्ला तुही का नचइबे !

भये साँझ आवै दुहू हाथ खाली जिलेबी के दोना न चाटन के पत्ता , मेला में सैकल से जावत इकल्ला , सनीमा के नामै दिखावे सिंगट्टा ! हमहूँ चली जाब देउर के संगै उहै ऊँच चक्कर पे झूला झुलइबे !

काहे मुँहै तू लगावत सबन का लगावत हैं चक्कर ऊ लरिका निठल्ला ! उहाँ गाँव माँ घूँघटा काढ रहितिउ , इहाँ तू दिखावत सबै मूड़ खुल्ला ! न केहू का हम ई घरै माँ घुसै देब , चपड़-चूँ करे तौन मइके पठइबे !

लरिकन को किरकट दुआरे मचत , मोर मुँगरी का रोजै बनावत है बल्ला , इहाँ देउरन की न कौनो कमी मोय भौजी बुलावत ई सारा मोहल्ला ! छप्पन छूरी इन छुकरियन में छुट्टा तुहै छोड़, कहि देत, मइके न जइबे !

मचावत है काहे से बेबात हल्ला , अगिल बेर तोहका चुनरिया बनइबे , पड़ी जौन लौंडे-लपाड़न के चक्कर दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे ! छिंगुनियाके छल्ला पे ...!

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