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"दोष / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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हे सूर्यदेव!
 
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झिलमिलाती झील-से
 
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शैवाल अंधेरा
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तल के जमाव तक
 
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सुनहली धूप
 
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और पीढ़ियाँ समझती हैं
 
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किरन-पुत्र तुम्हारा
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किरण-पुत्र तुम्हारा
 
जल में बहा दिया मैंने।
 
जल में बहा दिया मैंने।
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06:00, 10 जून 2013 के समय का अवतरण

दोष


हे सूर्यदेव!
कुन्ती के
युगों से भीगे
झिलमिलाती झील-से
आँचल पर
शैवाल अन्धेरा
गुपचुप गुभा है,
चीर,
तल के जमाव तक
मृण्मय कोशों तक
नहीं पहुँच पातीं
स्वर्ण किरणें
सुनहली धूप
और पीढ़ियाँ समझती हैं
किरण-पुत्र तुम्हारा
जल में बहा दिया मैंने।