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"सौ गुलाब खिले/ग़ज़लें" के अवतरणों में अंतर
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05:04, 18 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
- अंधेरी रात के परदे में झिलमिलाया किये
- अगर समझो तो मैं ही सब कहीं हूँ
- अपने हाथों से ज़हर भी जो पिलाया होता!
- अब क्यों उदास आपकी सूरत भी हुई है
- अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाए तो क्या!
- आँखों-आँखों में ही दोस्ती हो गयी
- आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे
- आप क्यों जान को यह रोग लगा लेते हैं
- आप, हम और कुछ भी नहीं!
- आये थे जो बड़े ही ताव के साथ
- उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयां किसकी!
- उनकी आँखों में प्यास देखेंगे
- उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता!
- उन्हें बाँहों में बढ़कर थाम लेंगे
- एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक
- कभी सर झुका के चले गए, कभी मुँह फिरा के चले गये
- कभी हमसे खुलो जाने के पहले
- कहाँ पर हमको उमीदों ने लाके छोड़ दिया
- क्या ज़िन्दगी को दीजिये क्या-क्या न दीजिये!
- क्या बने हमसे भला कागज़ की तलवारों से आज!
- किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए
- कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो!
- कुछ ऐसे साज को हमने बजाके छोड़ दिया
- कुछ जगह उनके दिल में पा ही गयी
- कुछ हम भी लिख गये हैं तुम्हारी किताब में / सौ गुलाब खिले
- कोई साथी भी नहीं, कोई सहारा भी नहीं
- कोई हमीं से आँख चुराए तो क्या करें!
- कोई हमें सताए, सताता ही जाए तो
- खनक कुछ कम भी हो तो कम नहीं है
- खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
- चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम
- चले भी आइये क्यारी में सौ गुलाब खिले
- जहां है दिल ने पुकारा, वहीं जाना होगा
- जान उन पर लुटाके बैठ गए
- ज़िन्दगी को यों ही भरमाया किये
- ज़िन्दगी दर्द का दाह है
- जो कहते हैं, 'हमसे लड़ाई हुई है'
- जो जीवन में दुःख की घटा बन गयी है
- जो पीने में ज्यादा या कम देखते हैं
- जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप
- झलक भी प्यार की कुछ उसमें मिल गयी होती
- तुम्हारे रूप को चाहे भला कहे तो कहे
- तेरी तिरछी अदाओं पर जिन्हें मरना नहीं आता
- दम न छूटे तो चारा नहीं
- दिया भी याद का इसमें जला के रक्खा है
- दिल के लुट जाने का गम कुछ भी नहीं!
- दिल्लगी और ही है, दिल की लगी और ही है
- दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
- दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये
- दिल को तुम्हारे वादे का ऐतबार तो रहे
- दीप जलता ही रहेगा रात भर
- दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम
- दो घड़ी की हँसी-खुशी के लिए
- नज़र अब उनसे मिलाने की बात कौन करे!
- नज़र नज़र से ही टकराए और कुछ मत हो
- नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था
- नहीं एक दिल की लगी छूटती है
- नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाक़ी है
- नहीं दुःख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता
- न होंठ तक कभी आई, न मन के द्वार गयी
- निराश प्राण में आशा के सुर सजाते चलो
- पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए
- प्यार की बात न कर प्यार को बस रहने दे
- प्यार को हम न कोई नाम दिया चाहते हैं
- प्यार में यों भी जीना हुआ