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"कविता की ज़रूरत / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

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बहुत कुछ दे सकती है कविता  
 
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क्यों कि बहुत कुछ हो सकती है कविता
 
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ज़िन्दगी में  
 
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अगर हम जगह दें उसे  
 
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जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़
 
जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़
 
 
जैसे तारों को जगह देती है रात  
 
जैसे तारों को जगह देती है रात  
 
 
  
 
हम बचाये रख सकते हैं उसके लिए  
 
हम बचाये रख सकते हैं उसके लिए  
 
 
अपने अन्दर कहीं  
 
अपने अन्दर कहीं  
 
 
ऐसा एक कोना  
 
ऐसा एक कोना  
 
 
जहाँ ज़मीन और आसमान  
 
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जहाँ आदमी और भगवान के बीच दूरी  
 
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कम से कम हो ।
 
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वैसे कोई चाहे तो जी सकता है  
 
वैसे कोई चाहे तो जी सकता है  
 
 
एक नितान्त कवितारहित ज़िन्दगी  
 
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कर सकता है  
 
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कवितारहित प्रेम
 
कवितारहित प्रेम
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02:02, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

बहुत कुछ दे सकती है कविता
क्यों कि बहुत कुछ हो सकती है कविता
ज़िन्दगी में

अगर हम जगह दें उसे
जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़
जैसे तारों को जगह देती है रात

हम बचाये रख सकते हैं उसके लिए
अपने अन्दर कहीं
ऐसा एक कोना
जहाँ ज़मीन और आसमान
जहाँ आदमी और भगवान के बीच दूरी
कम से कम हो ।

वैसे कोई चाहे तो जी सकता है
एक नितान्त कवितारहित ज़िन्दगी
कर सकता है
कवितारहित प्रेम