भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रिय यामिनी जागी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
 
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
(प्रिय) यामिनी जागी।<br>
 
(प्रिय) यामिनी जागी।<br>
 
अलस पंकज-दृग अरुण-मुख <br>
 
अलस पंकज-दृग अरुण-मुख <br>

23:09, 8 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

(प्रिय) यामिनी जागी।
अलस पंकज-दृग अरुण-मुख
तरुण-अनुरागी।

खुले केश अशेष शोभा भर रहे,
पृष्ठ-ग्रीवा-बाहु-उर पर तर रहे,
बादलों में घिर अपर दिनकर रहे,
ज्योति की तन्वी, तड़ित-
द्युति ने क्षमा माँगी।

हेर उर-पट फेर मुख के बाल,
लख चतुर्दिक चली मन्द मराल,
गेह में प्रिय-नेह की जय-माल,
वासना की मुक्ति मुक्ता
त्याग में तागी।