"चैक पर रकम / महेश अनघ" के अवतरणों में अंतर
छो (चैक पर रकम moved to चैक पर रकम / महेश अनघ) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | कवि: [[महेश अनघ]] | ||
+ | [[Category:कविताएँ]] | ||
+ | [[Category:गीत]] | ||
+ | [[Category:महेश अनघ]] | ||
+ | |||
+ | ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ | ||
+ | |||
+ | |||
चैक पर रकम लिख दूं, ले कर दूं हस्ताक्षर | चैक पर रकम लिख दूं, ले कर दूं हस्ताक्षर | ||
20:05, 12 सितम्बर 2006 का अवतरण
कवि: महेश अनघ
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
चैक पर रकम लिख दूं, ले कर दूं हस्ताक्षर
प्यार का तरीका यह
नया है सुनयनी।
छुआ छुअन बतरस तो
बाबा के संग गए
मीठी मनुहार अब यहां कहां
छेड़छाड़ रीझ खीझ
नयन झील में डुबकी
चित्त आर-पार अब यहां कहां
रात कटी आने का इंतज़ार करने में
जाने के लिए
भोर भया है सुनयनी।
कौन सा जन्मदिन है
आ तेरे ग्रीटिंग पर
संख्याएं टांक दूं भली भली
सात मिनट बाकी हैं
आरक्षित फ़ुरसत के
चूके तो बात साल भर टली
ढ़ाई आखर पढ़ने, ढाई साल का बबुआ
अभी-अभी विद्यालय
गया है सुनयनी।
मीरा के पद गा कर
रांधी रसखीर उसे
बाहर कर खिड़क़ी के रास्ते
दिल्ली से लंच पैक
मुंबईया प्रेम गीत
मंगवाया ख़ास इसी वास्ते
तू घर से आती है, मैं घर को जाता हूं
यह लोकल गाड़ी की
दया है सुनयनी।