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"कुछ और गुलाब / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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05:36, 30 जुलाई 2009 का अवतरण
- अब न जाने की करो बात, करीब आ जाओ
- आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है
- आँखों-आँखों मुस्कुराना खूब है!
- आओ कुछ देर गले लग लें ठहर के
- आईने में जब उसने अपना चाँद-सा मुखड़ा देखा होगा
- आपने ज़िन्दगी न दी होती
- इस दिल में तड़पने के अरमान ही अच्छे हैं
- इस बेरुखी से प्यार कभी छिप नहीं सकता
- उस नज़र पे छाये हुए और सौ गुलाब
- एक से एक बढ़कर चले
- एक अनबुझी सी चाह मेरे साथ रही है
- ऐ ग़म न छोड़ना हमें इस ज़िन्दगी के साथ
- कभी बेसुधी में रुके नहीं, कभी भीड़ देखके डर गये
- कहते रहे हैं दिल की कहानी सभी से हम
- क्या कहा, 'अब तो कोई ग़म न होगा!'
- कहनी है कोई बात मगर भूल रहे हैं
- कितनी भी दूर जाके बसे हों निगाह से
- कुछ तो आगे इस गली के मोड़ पर आने को है
- कुछ भी नहीं, जो हमसे छिपाते हो, ये क्या है!
- कोई ऊंची अटारी पे बैठा रहा, हाय! हमने उसे क्यों पुकारा नहीं!
- कोई मंजिल नयी हरदम है नज़र के आगे
- ख़त्म रंगों से भरी रात हुई जाती है
- चढी घूँट भर ही, क़दम डगमगाया
- हो न मुश्किल ये तड़पना मगर आसान नहीं
- चाह अब भी हो उसे मेरी, ज़रूरी तो नहीं
- जो भी जितनी दूर तक आया, उसे आने दिया
- जो भी वादे कराये गये
- ठुमरी-सी भैरवी की खुमारी शराब की
- तुम्हें प्यार करने को जी चाहता है
- दिन जिन्दगी के यों भी गुज़र जायँ तो अच्छा
- दिल के शीशे में कोई चाँद चमकता ही रहा
- दिल तो मिलता है, निगाहें न मिलें भी तो क्या!
- धुन प्यार की जो समझे न उन्हें, यह दिल की कहानी क्या कहिये!
- धोखा कहें, फरेब कहें, हादसा कहें
- नज़र उनसे छिपकर मिलाई गयी है
- नहीं एक अपनी व्यथा कह गये
- नशा प्यार का आज टूटे तो टूटे
- नाम यों तो सभी के बाद आया
- परदेदारी भी, बेहीज़ाबी भी
- प्यार की बात भी भारी है, इसे कुछ न कहो
- प्यार की राह में रोने से तो बाज़ आये हम
- प्यार की हमको ज़रूरत कभी ऐसी तो न थी!
- प्यार पर आँच न आये मेरे जाने के बाद
- प्यार यों तो सभी से मिलता है
- प्यार हमने किया, उनपे अहसान क्या,
- प्यार हुआ ऐसे तो नहीं
- पिएगा छक के कोई, कोई घूँट भर को तरसेगा
- पीने का नहीं हम पे नशा और ही कुछ है
- पीने की देर है न पिलाने की देर है
- फिर उन्हीं आँखोंकी खुशबू में नहाने के लिये
- फिर-फिर वही धुन लेकर यों किसने पुकारा है!
- फिर मुझे नरगिसी आँखों की महक पाने दो
- फूँक देना न इसे काठ के अंबार के साथ
- बन के दीवाना न यों महफ़िल में आना चाहिए
- बस कि मेहमान सुबह-शाम के हैं
- बात ऐसी न सुनी थी किसी दीवाने में
- बेकहे भी न रहा जाय और क्या कहिए!
- मिलके नहीं बिछुडेंगे जहाँ हम, ऐसा भी कोई देश तो होगा!
- मिलना न अब हमारा हो भी अगर तो क्या है!
- मुट्ठी में अब ये चाँद सितारे हुए तो क्या!
- मुँह खोलके हमसे जो मिलते न बना होता
- मेरी आँखों में जब तक नमी है
- यह सितारों से भरी रात हमारी कब थी!
- याद मरने पे ही किया तुमने
- ये प्यार के वादे क्या सुनिए, यह दिल की कहानी क्या कहिए!
- यों तो अनजान लगता रहे
- यों तो हमसे न कोई बात छिपायी जाती
- यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी
- यों तो परदे नज़र के रहे
- यों तो होठों से कुछ न कहता है
- यों तो इस दिल के कदरदान बहुत कम हैं आज
- यों निगाहें थीं शरमा गयीं
- लगा कि अब तेरी बाँहों में कोई और भी है
- लीजिये बढ़के अपनी बाँहों में
- वीणा को यों ही हाथ में थामे हुए हैं हम
- समझे न दिल की बात इशारे को देखकर
- सही है, ठीक है, हमने ये गम सहे ही नहीं
- साज़ यह छेड़ रहा कौन है, हमारे सिवा!
- सारी दुनिया पे कहर ढा देना
- हर क़दम, हर क़दम, हर क़दम
- हरेक सवाल पे कहते हो कि यह दिल क्या है
- हो न मुश्किल ये तड़पना मगर आसान नहीं