भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दो मुक्तक / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} Category: मुक्तक <poem> '''मै...)
 
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा ॥
 
पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा ॥
  
उपहार
+
'''उपहार'''
 
पल जो भी मिले  हैं मुझे उपहार में ।
 
पल जो भी मिले  हैं मुझे उपहार में ।
 
उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में ।
 
उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में ।

19:07, 26 जुलाई 2009 का अवतरण

{KKGlobal}}

मैं उजाला हूँ
मैं उजाला हूँ ,उजाला ही रहूँगा ।
अँधेरी गलियों में ज्योति-सा बहूँगा ।
चाँद मुझे गह लेंगे कुछ पल के लिए ,
पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा ॥

उपहार
पल जो भी मिले हैं मुझे उपहार में ।
उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में ।
 नफ़रत की फ़सलें उगाई हैं जिसने;
मिलेगा उसे क्या अब इस संसार में ॥