भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कृष्ण / विष्णु विराट" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
कवि: [[विष्णु विराट]]
 
कवि: [[विष्णु विराट]]
 
[[Category:कविताएँ]]
 
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:गीत]]
 
 
[[Category:विष्णु विराट]]
 
[[Category:विष्णु विराट]]
  

10:57, 17 सितम्बर 2006 का अवतरण

कवि: विष्णु विराट

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

एक गीता भर नहीं व्यक्तित्व जिसका,

भागवत से भी बड़ा है कृष्ण॥


वेद कहते नेति, श्रुतियां मौन रहती,

अमृत का कंचन घड़ा है कृष्ण॥


चीखता कुरुक्षेत्र घायल कह रहा है,

नीति के रथ पै चढ़ा है कृष्ण॥


विश्व का विष आचमन कर श्याम है जो,

नाग के फन पर खड़ा है कृष्ण॥


एक हीरा मां यशोदा के हृदय का,

गोपियों की नथ जड़ा है कृष्ण॥


मात्र ब्रजबाला नहीं, मुनि व्यास जैसे,

पूंछते किसने गढ़ा है कृष्ण॥


शोधता ब्रह्माण्ड जिसको युग युगों से,

गोपियों के पद-तल पड़ा है कृष्ण॥