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राय कृष्णदास का जन्म वाराणसी में हुआ। ये राजा पटनीमल के वंशज थे। 'राय की उपाधि इनकी आनुवंशिक थी जो मुगल दरबार से मिली थी। इनकी भारतीय चित्रकला तथा मूर्तिकला में विशेष रुचि थी। ये 'भारत कला भवन के संस्थापक तथा 'भारती भंडार (साहित्य-प्रकाशन संस्थान) के संपादक थे। ये कलाविद् ही नहीं अनेक कलाकारों के आश्रयदाता भी थे। हिंदी के अनेक प्रसिध्द साहित्यकारों को प्रकाश में लाने और प्रोत्साहित करने का श्रेय इन्हें जाता है। ये कहानी लेखक, गद्यगीतकार तथा कवि थे। उपनाम था 'नेही। ब्रजभाषा में लिखे इनके फुटकर छंदों में मानवीय भावनाओं का कोमल और भावुक पक्ष परिलक्षित है। | राय कृष्णदास का जन्म वाराणसी में हुआ। ये राजा पटनीमल के वंशज थे। 'राय की उपाधि इनकी आनुवंशिक थी जो मुगल दरबार से मिली थी। इनकी भारतीय चित्रकला तथा मूर्तिकला में विशेष रुचि थी। ये 'भारत कला भवन के संस्थापक तथा 'भारती भंडार (साहित्य-प्रकाशन संस्थान) के संपादक थे। ये कलाविद् ही नहीं अनेक कलाकारों के आश्रयदाता भी थे। हिंदी के अनेक प्रसिध्द साहित्यकारों को प्रकाश में लाने और प्रोत्साहित करने का श्रेय इन्हें जाता है। ये कहानी लेखक, गद्यगीतकार तथा कवि थे। उपनाम था 'नेही। ब्रजभाषा में लिखे इनके फुटकर छंदों में मानवीय भावनाओं का कोमल और भावुक पक्ष परिलक्षित है। |
23:18, 7 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
राय कृष्णदास का जन्म वाराणसी में हुआ। ये राजा पटनीमल के वंशज थे। 'राय की उपाधि इनकी आनुवंशिक थी जो मुगल दरबार से मिली थी। इनकी भारतीय चित्रकला तथा मूर्तिकला में विशेष रुचि थी। ये 'भारत कला भवन के संस्थापक तथा 'भारती भंडार (साहित्य-प्रकाशन संस्थान) के संपादक थे। ये कलाविद् ही नहीं अनेक कलाकारों के आश्रयदाता भी थे। हिंदी के अनेक प्रसिध्द साहित्यकारों को प्रकाश में लाने और प्रोत्साहित करने का श्रेय इन्हें जाता है। ये कहानी लेखक, गद्यगीतकार तथा कवि थे। उपनाम था 'नेही। ब्रजभाषा में लिखे इनके फुटकर छंदों में मानवीय भावनाओं का कोमल और भावुक पक्ष परिलक्षित है।