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"प्रतीक्षा / मनोज कुमार झा" के अवतरणों में अंतर

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देह छूकर कहा तूने
 
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हम साथ पार करेंगे हर जंगल
 
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मैं अब भी खडा हूँ वहीं पीपल के नीचे
मैं अब भी खडा हूं वहीं पीपल के नीचे
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जहाँ कोयल के कंठ में काँपता है पत्तों का पानी।
 
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जहां कोयल के कंठ में कांपता है पत्‍तों का पानी।
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22:52, 4 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

देह छूकर कहा तूने
हम साथ पार करेंगे हर जंगल
मैं अब भी खडा हूँ वहीं पीपल के नीचे
जहाँ कोयल के कंठ में काँपता है पत्तों का पानी।