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सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
है चाहता बस मन तुम्हें
 
शतदल खिले भौंरे जगे
मकरन्द फूलों से भरे
हर फूल पर तितली झुकी
बौछार चुम्बन की करे
सब ओर मादक अस्फुरण
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
है चाहता बस मन तुम्हें
 
 
</poem>
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