गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बादल को घिरते देखा है / नागार्जुन
No change in size
,
18:44, 28 दिसम्बर 2008
पावस की उमस से आकुल
तिक्त-मधुर
बिसतंतु
विषतंतु
खोजते
हंसों को तिरते देखा है।
Anonymous user
59.178.190.144