भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तेरी याद / कन्हैयालाल नंदन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैयालाल नंदन }} <poem> तेरी याद का ले के आसरा, मैं ...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=कन्हैयालाल नंदन
 
|रचनाकार=कन्हैयालाल नंदन
 
}}  
 
}}  
 +
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 
तेरी याद का ले के आसरा, मैं कहाँ-कहाँ से गुज़र गया,
 
तेरी याद का ले के आसरा, मैं कहाँ-कहाँ से गुज़र गया,

17:35, 4 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

तेरी याद का ले के आसरा, मैं कहाँ-कहाँ से गुज़र गया,
उसे क्या सुनाता मैं दास्ताँ, वो तो आईना देख के डर गया।

मेरे जेहन में कोई ख्‍़वाब था उसे देखना भी गुनाह था
वो बिखर गया मेरे सामने सारा गुनाह मेरे सर गया।

मेरे ग़म का दरिया अथाह है फ़क़त हौसले से निबाह है
जो चला था साथ निबाहने वो तो रास्ते में उतर गया।

मुझे स्याहियों में न पाओगे मैं मिलूँगा लफ्‍़ज़ों की धूप में
मुझे रोशनी की है जुस्तज़ू मैं किरन-किरन में बिखर गया।