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"दादी कहती हैं / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर
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दादी कहती है कि | दादी कहती है कि |
07:57, 16 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
दादी कहती है कि
जब जब नया साल आता है
महँगाई की फुटबॉल में
दो पंप हवा और डाल जाता है
गरीबी की चादर में
एक पैबंद और लगाकर
भ्रष्टाचार का प्रमोशन कर जाता है
ईमानदारी कहीं बदचलन न हो जाए
इसलिए
बेईमानी का पहरा बैठा जाता है
मटर के खेतों की रखवाली
बकरों को सौंप जाता है।
दादी यह सब देखकर
जाने क्यों चिढ़ती है
शायद सठिया गई हैं
अरे ठीक ही तो है
नया साल आएगा
खुशियाँ लाएगा
महँगाई की फुटबॉल को
थोड़ा और फुला जाएगा
सच खेलने में बड़ा मज़ा आएगा।
खेलने में बड़ा मज़ा आएगा।।