भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक सूनी नाव / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना }} <poem> एक सूनी नाव तट पर लौ...) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
एक सूनी नाव | एक सूनी नाव | ||
तट पर लौट आई। | तट पर लौट आई। | ||
+ | ................................................................... | ||
+ | '''[[रित्तो नाऊ / सर्वेश्वर दयाल सक्सेना / सुमन पोखरेल|यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्नलाई यहाँ क्लिक गर्नुहोस्]]''' | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
15:03, 27 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण
एक सूनी नाव
तट पर लौट आई।
रोशनी राख-सी
जल में घुली, बह गई,
बन्द अधरों से कथा
सिमटी नदी कह गई,
रेत प्यासी
नयन भर लाई।
भींगते अवसाद से
हवा श्लथ हो गईं
हथेली की रेख काँपी
लहर-सी खो गई
मौन छाया
कहीं उतराई।
स्वर नहीं,
चित्र भी बहकर
गए लग कहीं,
स्याह पड़ते हुए जल में
रात खोयी-सी
उभर आई।
एक सूनी नाव
तट पर लौट आई।
...................................................................
यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्नलाई यहाँ क्लिक गर्नुहोस्