भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ शे’र / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री  
 
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री  
 
}}
 
}}
 
+
[[Category: शेर ]]
 
+
<poem>
 
यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
 
यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
 
 
ये तमाम रंगो-नक्‌हत तिरे इख़्तियार में है
 
ये तमाम रंगो-नक्‌हत तिरे इख़्तियार में है
 
       
 
 
  
 
तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
 
तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
 
 
ये हुजूमे-माहो-अंजुम<ref> चाँद और तारों का जमघट</ref>तिरे इन्तिज़ार में है                   
 
ये हुजूमे-माहो-अंजुम<ref> चाँद और तारों का जमघट</ref>तिरे इन्तिज़ार में है                   
 
---------------------------------------------------
 
---------------------------------------------------
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}
 +
</poem>

23:54, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
ये तमाम रंगो-नक्‌हत तिरे इख़्तियार में है

तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
ये हुजूमे-माहो-अंजुम<ref> चाँद और तारों का जमघट</ref>तिरे इन्तिज़ार में है



शब्दार्थ
<references/>