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"पानी बहुत बरसा / शकुन्त माथुर" के अवतरणों में अंतर
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19:51, 2 मई 2010 का अवतरण
अबकी पानी बहुत बरसा
टूट गए तन बाँध
मन तो बहुत सरसा
बहती रही रस धार
दूर हुई सारी थकान
मन ने फिर से
थाम ली लगाम
पानी बहुत बरसा
ये बाढ़ से खण्डहर हुए घर
अपने पर हँसते
यह बसे-बसे घर
उजड़े से दिखते
मेरा मन डरपा
पानी बहुत बरसा