"आ के सज्जाद / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर
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− | <poem>आ के सज्जादः नशीं क़ैस हुआ मेरे बाद | + | <poem> |
− | न रही दश्त में ख़ाली कोई जा मेरे बाद | + | आ के सज्जादः नशीं<ref> किसी मस्जिद या मज़ार का प्रबंधन करने वाले की मौत के बाद उसकी गद्दी संभालने वाला</ref> क़ैस<ref>मजनूँ </ref> हुआ मेरे बाद |
+ | न रही दश्त<ref>जंगल </ref> में ख़ाली कोई जा<ref>जगह, स्थान</ref> मेरे बाद | ||
− | चाक करना है इसी ग़म | + | चाक करना<ref>फाड़ना </ref> है इसी ग़म में गिरेबान-ए-क़फ़न<ref> क़फ़न रूपी वस्त्र का गला</ref> |
− | कौन खोलेगा तेरे बन्द-ए-कबा मेरे बाद | + | कौन खोलेगा तेरे बन्द-ए-कबा<ref>वस्त्रों में लगाई जाने वाली गांठें </ref> मेरे बाद |
− | वो हवाख़्वाह-ए-चमन हूँ कि चमन में हर सुब्ह | + | वो हवाख़्वाह-ए-चमन<ref>बग़ीचे में हवाख़ोरी करने का शौकीन </ref> हूँ कि चमन में हर सुब्ह |
− | पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा मेरे बाद | + | पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा<ref>सुबह की समीर </ref> मेरे बाद |
− | तेज़ रखना सर-ए-हर ख़ार को ऐ दश्त-ए-जुनूं | + | तेज़ रखना सर-ए-हर ख़ार<ref>हर कांटे की नो </ref> को ऐ दश्त-ए-जुनूं<ref>पागलपन के जंगल </ref>! |
− | शायद आ जाए कोई आबला पा मेरे बाद | + | शायद आ जाए कोई आबला-पा<ref>जिसके पैर में छाले पड़े हों </ref> मेरे बाद |
− | मुँह पे रख दामन-ए-गुल रोएंगे मुर्ग़ान-ए-चमन | + | मुँह पे रख दामन-ए-गुल रोएंगे मुर्ग़ान-ए-चमन<ref>उद्यान के पक्षी </ref> |
हर रविश ख़ाक उड़ाएगी सबा मेरे बाद | हर रविश ख़ाक उड़ाएगी सबा मेरे बाद | ||
बाद मरने के मेरी क़ब्र पे आया वो 'मीर' | बाद मरने के मेरी क़ब्र पे आया वो 'मीर' | ||
याद आई मेरे ईसा को दवा मेरे बाद | याद आई मेरे ईसा को दवा मेरे बाद | ||
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22:00, 13 सितम्बर 2010 का अवतरण
आ के सज्जादः नशीं<ref> किसी मस्जिद या मज़ार का प्रबंधन करने वाले की मौत के बाद उसकी गद्दी संभालने वाला</ref> क़ैस<ref>मजनूँ </ref> हुआ मेरे बाद
न रही दश्त<ref>जंगल </ref> में ख़ाली कोई जा<ref>जगह, स्थान</ref> मेरे बाद
चाक करना<ref>फाड़ना </ref> है इसी ग़म में गिरेबान-ए-क़फ़न<ref> क़फ़न रूपी वस्त्र का गला</ref>
कौन खोलेगा तेरे बन्द-ए-कबा<ref>वस्त्रों में लगाई जाने वाली गांठें </ref> मेरे बाद
वो हवाख़्वाह-ए-चमन<ref>बग़ीचे में हवाख़ोरी करने का शौकीन </ref> हूँ कि चमन में हर सुब्ह
पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा<ref>सुबह की समीर </ref> मेरे बाद
तेज़ रखना सर-ए-हर ख़ार<ref>हर कांटे की नो </ref> को ऐ दश्त-ए-जुनूं<ref>पागलपन के जंगल </ref>!
शायद आ जाए कोई आबला-पा<ref>जिसके पैर में छाले पड़े हों </ref> मेरे बाद
मुँह पे रख दामन-ए-गुल रोएंगे मुर्ग़ान-ए-चमन<ref>उद्यान के पक्षी </ref>
हर रविश ख़ाक उड़ाएगी सबा मेरे बाद
बाद मरने के मेरी क़ब्र पे आया वो 'मीर'
याद आई मेरे ईसा को दवा मेरे बाद