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"रामदास / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर

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खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर
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लगे देखने उसको, जिसकी तय था हत्या होगी।
कहा नहीं था उसनें आखिर उसकी हत्या होगी?<br />
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निकल गली से तब हत्यारा
भीड़ ठेल कर लौट आया वह<br />
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आया उसने नाम पुकारा
मरा हुआ है रामदास यह<br />
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हाथ तौल कर चाकू मारा
'देखो-देखो' बार बार कह<br />
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छूटा लहू  का फव्वारा
लोग निड़र उस जगह खडे रह<br />
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कहा नहीं था उसनें आखिर उसकी हत्या होगी?
लगे बुलानें उन्हें, जिन्हें संशय था हत्या होगी।<br />
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भीड़ ठेल कर लौट आया वह
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मरा हुआ है रामदास यह
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'देखो-देखो' बार बार कह
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लोग निडर उस जगह खड़े रह
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लगे बुलानें उन्हें, जिन्हें संशय था हत्या होगी।
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18:12, 9 अक्टूबर 2009 का अवतरण

चौड़ी सड़क गली पतली थी
दिन का समय घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
अंत समय आ गया पास था
उसे बता, यह दिया गया था, उसकी हत्या होगी।

धीरे धीरे चला अकेले
सोचा साथ किसी को ले ले
फिर रह गया, सड़क पर सब थे
सभी मौन थे, सभी निहत्थे
सभी जानते थे यह, उस दिन उसकी हत्या होगी।

खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर
दोनों हाथ पेट पर रख कर
सधे कदम रख कर के आये
लोग सिमट कर आँख गड़ाये
लगे देखने उसको, जिसकी तय था हत्या होगी।

निकल गली से तब हत्यारा
आया उसने नाम पुकारा
हाथ तौल कर चाकू मारा
छूटा लहू का फव्वारा
कहा नहीं था उसनें आखिर उसकी हत्या होगी?

भीड़ ठेल कर लौट आया वह
मरा हुआ है रामदास यह
'देखो-देखो' बार बार कह
लोग निडर उस जगह खड़े रह
लगे बुलानें उन्हें, जिन्हें संशय था हत्या होगी।