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सनातन भारतीय मूल्यों के कालजयी वाहक, भातीय संकृति के मूल स्तम्भ,  महाग्रंथ वेद, उपनिषदों, भगवद गीता  के संस्कृत में होने के कारण, भाषा की क्लिष्टता के कारण, गूढ़ होते हुए भी अंतस तक नहीं जा पाते. जन मानस के अंतस में, जनमानस की भाषा में ही प्रवेश मिलता है . अतः कथ्य विषयों का सरल, सरस और सहज होना अनिवार्य ही है.  इन मौलिक संस्कृत ग्रंथों की क्लिष्टता और गूढ़ता के प्रति जन मानस में रूचि जगाने का महत्वपूर्ण प्रयास डॉ. मृदुल कीर्ति ने किया है. जिन्होंने काव्यात्मक रूपांतर कर, इन ग्रंथों को सरल, सरस, सहज और गेय बनाया है. पतंजलि योग दर्शान का काव्य रूपांतरण विश्व का सर्व प्रथम प्रयास है.
 
सनातन भारतीय मूल्यों के कालजयी वाहक, भातीय संकृति के मूल स्तम्भ,  महाग्रंथ वेद, उपनिषदों, भगवद गीता  के संस्कृत में होने के कारण, भाषा की क्लिष्टता के कारण, गूढ़ होते हुए भी अंतस तक नहीं जा पाते. जन मानस के अंतस में, जनमानस की भाषा में ही प्रवेश मिलता है . अतः कथ्य विषयों का सरल, सरस और सहज होना अनिवार्य ही है.  इन मौलिक संस्कृत ग्रंथों की क्लिष्टता और गूढ़ता के प्रति जन मानस में रूचि जगाने का महत्वपूर्ण प्रयास डॉ. मृदुल कीर्ति ने किया है. जिन्होंने काव्यात्मक रूपांतर कर, इन ग्रंथों को सरल, सरस, सहज और गेय बनाया है. पतंजलि योग दर्शान का काव्य रूपांतरण विश्व का सर्व प्रथम प्रयास है.
  

18:00, 12 अक्टूबर 2009 का अवतरण

सनातन भारतीय मूल्यों के कालजयी वाहक, भातीय संकृति के मूल स्तम्भ, महाग्रंथ वेद, उपनिषदों, भगवद गीता के संस्कृत में होने के कारण, भाषा की क्लिष्टता के कारण, गूढ़ होते हुए भी अंतस तक नहीं जा पाते. जन मानस के अंतस में, जनमानस की भाषा में ही प्रवेश मिलता है . अतः कथ्य विषयों का सरल, सरस और सहज होना अनिवार्य ही है. इन मौलिक संस्कृत ग्रंथों की क्लिष्टता और गूढ़ता के प्रति जन मानस में रूचि जगाने का महत्वपूर्ण प्रयास डॉ. मृदुल कीर्ति ने किया है. जिन्होंने काव्यात्मक रूपांतर कर, इन ग्रंथों को सरल, सरस, सहज और गेय बनाया है. पतंजलि योग दर्शान का काव्य रूपांतरण विश्व का सर्व प्रथम प्रयास है.

ईश्वरीय अनुकम्पा के सहारे वे आज भी सतत, निरंतर इसी प्रवाह में प्रवाहित और निमग्नता को ही जीवन की धन्यता मानती है. यह वह विधा है जो कोई बाहरी शक्ति न तो करवा ही सकती है और न ही करते हुए को रोक सकती है.
क्यों कि यह कृपा साध्य है श्रम साध्य नहीं.

==प्रकाशित ग्रन्थ==

  • श्रीमद भगवदगीता का काव्यात्मक अनुवाद (ब्रज भाषा) में,(२००१)
  • श्री कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में बोली जाने वाली ब्रज भाषा में काव्य रूपांतरित सर्व प्रथम गीता.
  • विमोचन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा (२००१)
  • सामवेद का हिंदी पद्यानुवाद (१९८८)
  • चौपाई छंद में सामवेद का सर्व प्रथम पद्यात्मक रूपांतरण, मौलिकता के सदर्भ सहेजे हुए, पद्य का सौंदर्य समेटे हुए. क्लिष्टता से दिव्य रसामृत का अकिंचन प्रयास .
  • सामवेद का पद्यात्मक अनुवाद ----का विमोचन महा महिम राष्ट्रपति श्री आर . वेंकटरमण के द्वारा किया गया .(१९८८)
  • संस्कृत साहित्य अकेडमी उत्तर प्रदेश द्वारा , अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत .
  • ईशादी नौ उपनिषदों का काव्यात्मक अनुवाद (१९९६)
    • हरिगीतिका छंद में अनुवादित विश्व के सर्व प्रथम काव्यात्मक अनुवाद. ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, मांडूक्य, ऐतरेय, तैत्तरीय और श्वेताश्वर. महामहिम राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा द्वारा विमोचन (१९९६)
  • ईहातीत क्षण - दार्शनिक गद्य-काव्य (१९९१)
    • एक आध्यात्मिक और दार्शनिक गद्य काव्य संग्रह. राज्यपाल श्री वीरेंद्र वर्मा, श्री नेबूर (मारीशस के भारत में राजदूत) द्वारा विमोचन (१९९१)
  • अष्टावक्र गीता ----गीतिका छंद में काव्य रूपांतरण (२००६) विश्व का सर्व प्रथम गेय शैली में काव्यानुवाद
  • पातंजलि योग दर्शन -----हिंदी व्याख्यात्मक काव्यानुवाद. विश्व का अति प्रथम, पतंजलि योग दर्शन का काव्य रूपांतरण. चौपाई छंद में अनुवादित और रामायण की तरह ही गेय जो गाया भी जा चुका है. सम्पूर्ण यज्ञ के मन्त्र काव्य में रूपांतरित.


==शिक्षा==
शोध कार्य ------------वेदों पर शोध कार्य.

विषय ------------वेदों में राजनीतिक व्यवस्था --एक अध्ययन

राजनीतिक परिपेक्ष्य में एक विवेचनात्मक अध्ययन,
वैदिक स्वस्थ लोकतंत्र की पुष्टि और आज तो और भी अधिक सामयिक
जब हमारे नैतिक मूल्य स्वार्थ में खोते जा रहे है.
एम् .ए राजनीति विज्ञानं में, आगरा विश्व विद्यालय (भारत,उत्तर प्रदेश)१९७०
विशारद इन हिंदी इलाहबाद उत्तर प्रदेश.
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनो
आध्यात्मिकता का सार उपनिषद्
न्यूयार्क ----न्यू जर्सी अमेरिका ---अगस्त २०००
वैराग्य संदीपनी और गीता --शीर्षक से तुलसी दास के कृतत्व
फ्लोरिडा (अमेरिका में आयोजित ) अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में, भारत की ओर से प्रतिनिधित्व के लिए
भारत सरकार आई .सी.सी.आर की ओर से निर्वाचित.
त्यक्तेन भुंजीथा -----एक विवेचन
वाशिगतन में आयोजित एक बहु राष्ट्रीय सम्मलेन में अभिभाषण
ईशावास्य उपनिषद की समकालिक विवेचना
इस विषय पर एमोरी विश्व विद्यालय में वार्ता (अटलांटा अमेरिका ) सितम्बर २०००