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"ओस / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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ये किसने मोती की लड़ियाँ?
 
ये किसने मोती की लड़ियाँ?
 
कौन रात में गूँथ गया है
 
कौन रात में गूँथ गया है
ये उज्‍ज्‍वल हीरों की करियाँ?
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ये उज्‍ज्‍वल हीरों की कड़ियाँ?
  
 
जुगनू से जगमग जगमग ये
 
जुगनू से जगमग जगमग ये
 
कौन चमकते हैं यों चमचम?
 
कौन चमकते हैं यों चमचम?
नभ के नन्‍हें तारों से ये
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नभ के नन्‍हे तारों से ये
 
कौन दमकते हैं यों दमदम?
 
कौन दमकते हैं यों दमदम?
  

04:16, 6 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण

हरी घास पर बिखेर दी हैं
ये किसने मोती की लड़ियाँ?
कौन रात में गूँथ गया है
ये उज्‍ज्‍वल हीरों की कड़ियाँ?

जुगनू से जगमग जगमग ये
कौन चमकते हैं यों चमचम?
नभ के नन्‍हे तारों से ये
कौन दमकते हैं यों दमदम?

लुटा गया है कौन जौहरी
अपने घर का भरा खजा़ना?
पत्‍तों पर, फूलों पर, पगपग
बिखरे हुए रतन हैं नाना।

बड़े सवेरे मना रहा है
कौन खुशी में यह दीवाली?
वन उपवन में जला दी है
किसने दीपावली निराली?

जी होता, इन ओस कणों को
अंजली में भर घर ले आऊँ?
इनकी शोभा निरख निरख कर
इन पर कविता एक बनाऊँ।