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एक बूँद / सियाराम शरण गुप्त
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04:29, 29 अक्टूबर 2009
"बस बस, एक बूँद ही दे दे!"
कहा तृषार्ता
नें
ने
खिलकर-"किसके पास, कहाँ
जाउँ
जाऊँ
अब
तुझ-से दानी से मिलकर?
अनिल जनविजय
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