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एक बूँद / सियाराम शरण गुप्त

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"बस बस, एक बूँद ही दे दे!"
कहा तृषार्ता नें ने खिलकर-"किसके पास, कहाँ जाउँ जाऊँ अब
तुझ-से दानी से मिलकर?
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