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सत्य तो बहुत मिले / अज्ञेय

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|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=इन्द्र-धनु रौंदे हुए थे / अज्ञेय
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सत्य तो बहुत मिले-
एक ही पाया ।
 
'''काशी (रेल में), 15 फरवरी, 1954'''
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