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कुछ लोग / जया जादवानी
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20:36, 5 नवम्बर 2009
<poem>
बहुत सट कर बैठो फिर भी
उठकर चले ही
जते
जाते
हैं कुछ लोग
मंज़िल आने से पहले
यूँ अभी भी कसके पकड़ा हुआ है हाथ
अनिल जनविजय
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