भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जन्म / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
व्यर्थ अनुभूतियां | व्यर्थ अनुभूतियां | ||
− | + | दंश के बाद | |
हुईं शिथिल | हुईं शिथिल | ||
09:19, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
डस गई
अनमने एकांत को
भीड़ निरर्थकता की
व्यर्थ अनुभूतियां
दंश के बाद
हुईं शिथिल
होने का दर्द
प्रश्नों की भीड़
और अर्थों की पीड़ा
भाग रहे हैं
जन्म की तरफ
जन्म के पश्चात
पीड़ित मुस्कान
बू की सच्चाई
ख़ुश्बू की आहट।