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"राजधानी में बैल 1 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
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खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे | खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे | ||
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देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा | देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा | ||
देखता हुआ उसे | देखता हुआ उसे | ||
− | भीगता | + | भीगता हूँ मैं |
देर तक । | देर तक । | ||
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01:07, 10 जून 2010 के समय का अवतरण
बादलों को सींग पर उठाए
खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे
एक बूँद के अचानक गिरने से
देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा
देखता हुआ उसे
भीगता हूँ मैं
देर तक ।