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"उपलब्धि / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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कोई दोष नहीं दिया जा सकता
 
अपनी ही चुनी हुई सरकार को
 
 
सरकार के पास
 
धर्म होता है अध्यात्म नहीं
 
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं
 
शब्द होते हैं भाव नहीं
 
योजनाएँ होती हैं प्रतिबद्धता नहीं
 
शरीर होता है आत्मा नहीं
 
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं
 
आँखें होती हैं आँसू नहीं
 
बस, मौत के आँकड़े होते हैं
 
मौत की भयावहता नहीं
 
 
सब कुछ होते हुए
 
कुछ भी नहीं होता
 
सरकार के पास !
 
  
 
मैं तो
 
मैं तो

18:47, 26 जनवरी 2012 के समय का अवतरण


मैं तो
बस झुंझलाना, ग़ुस्सा करना
और चीख़ना जानता हूं
मुझसे मत पूछो
मेरी उपलब्धियों के बारे में

मैं
मंत्री, अभिनेता
या क्रिकेट स्टार नहीं
मुझे इक़रार है
मैंने कोई शोध नहीं किया
मुझे विश्वास है
कोई मिसाइल, कोई बम
नहीं बनाया मैंने
यहाँ तक कि
किसी प्रकाशक ने नहीं छापी
मेरी कोई किताब भी

हाँ  !
देखा है मैंने
एक सहमी हुई औरत से छीनकर
साल भर के बच्चे को
आग में झोंके जाते हुए
लेकिन
दूसरे तमाशबीनों की तरह
सो नहीं गया मैं चुपचाप
अपनी अन्तरात्मा का तकिया बनाकर
बल्कि चीख़ता रहा
चीख़ता रहा

अगर
तुम जाग रहे हो
तो मेरी चीख़ ही
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है !