भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राम राम काहे ना बोले / भजन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKBhajan |रचनाकार= }} <poem>राम राम काहे ना बोले । व्याकुल मन जब इत उत डो…) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKBhajan | {{KKBhajan | ||
|रचनाकार= | |रचनाकार= | ||
− | }} | + | }} |
+ | {{KKAnthologyRam}} | ||
<poem>राम राम काहे ना बोले । | <poem>राम राम काहे ना बोले । | ||
व्याकुल मन जब इत उत डोले। | व्याकुल मन जब इत उत डोले। |
19:38, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
राम राम काहे ना बोले ।
व्याकुल मन जब इत उत डोले।
लाख चौरासी भुगत के आया ।
बड़े भाग मानुष तन पाया।
अवसर मिला अमोलक तुझको।
जनम जनम के अघ अब धो ले।
राम राम ...
राम जाप से धीरज आवै ।
मन की चंचलता मिट जावै।
परमानन्द हृदय बस जावै ।
यदि तू एक राम का हो ले।
राम राम ...
इधर उधर की बात छोड़ अब ।
राम नाम सौं प्रीति जोड़ अब।
राम धाम में बाँह पसारे ।
श्री गुरुदेव खड़े पट खोले।
राम राम ...