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"कैसे कैसे लोग / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर

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यह कैसी अनहोनी मालिक यह कैसा संयोग
 
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कैसी-कैसी कुर्सी पर हैं कैसे-कैसे लोग ?
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जिनको आगे होना था
 
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वे पीछे छूट गए
 
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जितने पानीदार थे शीशे
 
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तड़ से टूट गए
 
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प्रेमचंद से मुक्तिबोध से कहो निराला से
 
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क़लम बेचने वाले अब हैं करते छप्पन भोग ।।
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हँस-हँस कालिख बोने वाले
 
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चाँदी काट रहे
 
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हल की मूँठ पकड़ने वाले
 
हल की मूँठ पकड़ने वाले
 
 
जूठन चाट रहे
 
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जाने वाले जाते-जाते सब कुछ झाड़ गए
 
जाने वाले जाते-जाते सब कुछ झाड़ गए
 
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भुतहे घर में छोड़ गए हैं सौ-सौ छुतहे रोग ।।
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धोने वाले हाथ धो रहे  
 
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बहती गंगा में
 
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अपने मन का सौदा करते  
 
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मिनटों में मैदान बनाते हैं आबादी को
 
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लाठी आँसू गैस पुलिस का करते जहाँ प्रयोग ।।
लाठी आँसू गैस पुलिस का करते जहाँ प्रयोग।।
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12:44, 4 जनवरी 2011 का अवतरण

यह कैसी अनहोनी मालिक यह कैसा संयोग
कैसी-कैसी कुर्सी पर हैं कैसे-कैसे लोग ?

जिनको आगे होना था
वे पीछे छूट गए
जितने पानीदार थे शीशे
तड़ से टूट गए
प्रेमचंद से मुक्तिबोध से कहो निराला से
क़लम बेचने वाले अब हैं करते छप्पन भोग ।।

हँस-हँस कालिख बोने वाले
चाँदी काट रहे
हल की मूँठ पकड़ने वाले
जूठन चाट रहे
जाने वाले जाते-जाते सब कुछ झाड़ गए
भुतहे घर में छोड़ गए हैं सौ-सौ छुतहे रोग ।।

धोने वाले हाथ धो रहे
बहती गंगा में
अपने मन का सौदा करते
कर्फ्यू-दंगा में
मिनटों में मैदान बनाते हैं आबादी को
लाठी आँसू गैस पुलिस का करते जहाँ प्रयोग ।।