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इज़्हार / फ़राज़

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बेग़ान-ए-शोल-ए-वफ़ा<ref>प्रेम-प्रतिज्ञा से अनभिज्ञ</ref> है
तहक़ीर<ref>उपेक्षा</ref> से यूँ न देख मुझको
ऐ संगतराश<ref>मूर्तिकार</ref> ! तेरा तेशा<ref>छैनी</ref>
मुम्किन<ref>संभव</ref> है कि ज़र्बे-अव्वली<ref>पहली चोट</ref> से
पहचान सके कि मेरे दिल में