गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अब वह नहीं आती / अनिल जनविजय
25 bytes removed
,
07:42, 17 नवम्बर 2010
<poem>
'''(रोज़ी वट्टा के लिए)
एक अरसा बीत गया
लापरवाह अपने चारों ओर से
ढूँढ रही हो ज्यों मुझे भोर से
प्रेम में मेरे डूबी थी ऐसे
उसकी याद आती है
'''
(
1984
में रचित
)
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,461
edits