भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बेटियाँ / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह }} {{KKCatKavita}} <poem> छोड़ कर चली जाती है…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
'''रचनाकाल : 1993''' | '''रचनाकाल : 1993''' | ||
− | '''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर | + | '''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि [[कुँअर रवीन्द्र]] के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।''' |
</poem> | </poem> |
02:41, 18 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
छोड़ कर चली जाती है पत्नी
प्रेमिकाएँ चली जाती हैं छोड़ कर जब
चले जाते हैं छोड़ कर जब दोस्त-यार सारे के सारे
बेटियाँ हाथ थाम लेती हैं आगे बढ़ कर
जवान बेटों की नींद में व्यवधान होता है बाप
व्यवधान होता है बहुओं के निजी सुख में
अपने अकेलेपन में लहू लुहान
जीवित व्यवधान होता है बाप पूरे मकान के वजूद में
व्यवधान को मानकर आशीर्वाद
बेटियाँ सर पर बिठा लेती हैं
सजा लेती हैं आँखों में
पलकों पर उठा लेती हैं बेटियाँ
सब के सब छोड़ कर चले जाते हैं जब
रचनाकाल : 1993
शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।