|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
वे मर जाएंगे
 
तो विलुप्त हो जाएंगी लहरें
 
पत्थर हो जाएगी नदी
 
जीवाश्म हो जाएंगी मछलियाँ पानी में
 
नाव खो देगी अपना किनारा,
 
यदि लहरों के राजहंस मर जाएँ
 
हम रुके रह जाएंगे 
 
अतीत में किसी वर्तमान को खोजते
  '''रचनाकाल: 8.4.2006</poem>