भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नए सिरे से / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (नए सिरे से /नागार्जुन का नाम बदलकर नए सिरे से / नागार्जुन कर दिया गया है) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन | |संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
नए सिरे से | नए सिरे से | ||
− | |||
घिरे-घिरे से | घिरे-घिरे से | ||
− | |||
हमने झेले | हमने झेले | ||
− | |||
तानाशाही के वे हमले | तानाशाही के वे हमले | ||
− | |||
आगे भी झेलें हम शायद | आगे भी झेलें हम शायद | ||
− | |||
तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से | तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से | ||
− | |||
::::::घिरे-घिरे से | ::::::घिरे-घिरे से | ||
− | |||
"बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद" | "बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद" | ||
− | |||
"शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद" | "शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद" | ||
− | |||
"फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद" | "फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद" | ||
− | |||
"तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद" | "तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद" | ||
− | |||
− | |||
(रचनाकाल : 1977) | (रचनाकाल : 1977) | ||
+ | </poem> |
19:25, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
नए सिरे से
घिरे-घिरे से
हमने झेले
तानाशाही के वे हमले
आगे भी झेलें हम शायद
तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से
घिरे-घिरे से
"बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद"
"शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद"
"फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद"
"तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद"
(रचनाकाल : 1977)